आज भी लगभग वैसी ही स्तिथियाँ मानवता के सामने है. विशेषकर भारत के सामने आज हमारा ही पडोसी पिछले ६० वर्षों से हमारे देश का शत्रु बना बैठा है. हमारी प्रगति, हमारे लोकतंत्र, हमारी अनेकता में एकता से ईर्ष्यालु हमारा यह पडोसी, अपने जन्म से ही हमें परेशान करने के अलावा कुछ और नहीं सोचता एवं करता है. वहां कोई भी सरकार आए चाहे वह लोकतान्त्रिक सरकार हो या तानाशाह की सरकार, सबका एक ही एजेंडा रहता है कि भारत को कैसे परेशान किया जाए चाहे वह कश्मीर का मामला हो या फ़िर सियाचिन का या फ़िर कुछ और........उन्हें भारत में अस्थिरता फैलाना अपना राष्ट्रीय धर्म लगता है. सभी एक ही भाषा बोलते नज़र आते हैं.
भारत की परमाणु क्षमता से उसको भी परमाणु सम्पन्न देश बनने की चाह जाग उठी, भले ही वह परमाणु तकनीक चोरी छुपे ही क्यों न हासिल की गई हो. आज एक ऐसे नासमझ एवं अदूरदर्शी देश के हाथ में परमाणु तकनीक आ गई है जिससे इस क्षेत्र के सभी राष्ट्रों को खतरा है. क्यों कि पाकिस्तान की सेना तथा सेना के अधीन आई.एस.आई., पाकिस्तान के कट्टरपंथी गुटों के साथ भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करते रहते हैं, यह तथ्य समय समय पर भारत सरकार ने उठाया है. इसलिए परमाणु सम्पन्न होने के बाद इन कट्टरपंथियों से और भी ज्यादा खतरा है.
हमने अपने राष्ट्रीय स्वभाव एवं संस्कृति के अनुरूप पाकिस्तान से कई बार मित्रता का प्रयास किया परन्तु सदैव ही हमें धोखा खाना पड़ा. पाकिस्तान ने सदैव ही हमारे पीठ पर छुरा भोंकने का ही कार्य किया है.
परन्तु अब समय आ गया है कि हम यह पूरी तरह से निश्चित कर लें कि हमें अपने इस नापाक पाकिस्तान से किस तरह का सम्बन्ध रखना है. आज इसी पाकिस्तान के कारण ही हमारी जनता कहीं पर भी सुरक्षित नहीं अनुभव करती है. चाहे वह देश का पूर्वोत्तर भाग हो, दक्षिण का भाग हो या कि पश्चिमी एवं मध्य भारत. उत्तरी भारत तो लगातार इस देश से आए आतंकियों का निशाना रहा है. कुल निष्कर्ष यह है कि यह देश अपनी नापाक हरकतों और इरादों को हर हाल में भारत की धरती पर अंजाम देता रहेगा.
पिछले ६० वर्ष का समय पर्याप्त होता है कि हम यह निर्धारित कर सकें किसी भी देश के साथ किस तरह का सम्बन्ध रखा जाए. अब घडी कड़े निर्णय लेने की है. इसके लिए राष्ट्र की जनता, राष्ट्र के राजनीतिज्ञों को एक बहुत ही सशक्त आत्म शक्ति की आवश्यकता होगी. बिना राजनैतिक दृढ़ इच्छाशक्ति के यह सम्भव नहीं है. पर क्या इतनी दृढ़ इच्छाशक्ति आज के राजनैतिक नेतृत्वों में है.? यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है क्यों कि कहीं ऐसा तो नहीं कि तुष्टिकरण एवं तथाकथित वोटों का लालच देश हित में आवश्यक कडे कदम उठाने से रोक रहा हो.
यह यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि हमारी संसद ने एक सुर से कुछ वर्ष पहले "पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर" वाले हिस्से को उसके चंगुल से मुक्त करने का संकल्प लिया था. चुनावी आश्वासनों की तरह संविधान के इस पावन मन्दिर में लिए गए उस संकल्प को इन सांसदों को नहीं भूलना चाहिए. यदि इन संकल्पों को पूरा करने की शक्ति नहीं है तो ऐसे भ्रामक संकल्पों को नहीं लेना चाहिए.. हम पिछले तीन युद्धों में अपने वीर सैनिकों का बलिदान देकर पाकिस्तान की जमीन पर काफी हद तक कब्जा कर लेते हैं और फ़िर सहृदयता का परिचय देते हुए उसे उसकी भूमि वापस भी कर देते हैं पर पाकिस्तान पिछले ६० वर्षों से हमारे कश्मीर के हिस्से , जो कि अब "पाक अधिकृत कश्मीर" कहा जाता है., को कब्जा किए हुए बैठा है, वह उस पर बात तक नहीं करता........
हमारे देश के इतिहास में पूर्व में बड़ी कूटनीतिक गलतियां होती रही हैं जिसका खामियाजा देश की कई पीढियों को भुगतना पड़ रहा है.....पहली गलती हमारे प्रथम प्रधानमन्त्री द्वारा हुई जब वह पाकिस्तान के कबायली आक्रमण की घटना को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ चले गए.....उसी समय यदि तात्कालिक निर्णय लेकर सेना को समय रहते कश्मीर भेज दिया गया होता तो आज दृश्य ही कुछ और होता दूसरी भयानक कूटनीतिक गलती तब हुई जब पाकिस्तान के ९०,००० सैनिक हमारे यहाँ युद्ध बंदी थे.........उस समय पाकिस्तान दबाव में था.....उसी समय "पाक अधिकृत कश्मीर" की वापसी के लिए बात की जाती तो आज दृश्य कुछ और ही होता........ अब बस यह देखना है कि तीसरी कोई बड़ी कूटनीतिक गलती हमारे राजनीतिज्ञों से न हो.........
अमेरिका, ब्रिटेन ये सभी पश्चिमी देश अपने निजी स्वार्थों के कारण तथाकथित आतंकवाद के विरोध में एकजुटता का आव्हाहन करते हैं परन्तु पाकिस्तान जाओ की सारे विश्व में आतंकवाद की पाठशाला है, प्रशिक्षण केन्द्र है.....ये सभी उसके विरुद्ध कड़ी कारवाई का कोई भी कदम नहीं उठाते हैं बल्कि आश्चर्य है कि अमेरिका जैसा देश पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए अरबों डालर की सहायता देता है, यह स्पष्ट रूप से जानते हुए भी कि पाकिस्तान ही जो कि आतंकवाद का प्रमुख शोध केन्द्र है प्रमुख रणनीतिक केन्द्र है.......लगभग सभी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियाँ इस देश से समस्त विश्व में फैलाई जाती हैं. अमेरिका कभी भी हमारा सच्चा मित्र नहीं रहा है. यह वाही अमेरिका है जिसने १९७१ के भारत पाक युद्ध के समय हम पर दबाव बनाने के लिए अपना सातवाँ युद्धक बेडा अरबा सागर में भेजने की धमकी दी थी. यह ठीक है की समय के साथ रिश्ते भी बदलते हैं लेकिन इन बदलावों में हमें सदैव अपने और पराये का ख्याल रखना होगा और या तभी सम्भव है जब हम किसी तथाकथित मित्र का इतिहास ठीक तरह से समझते रहें. आज भी अमेरिका पाकिस्तान को पुचकारता रहता है.......क्या उसकी खुफिया एजेंसियों को यह नहीं मालूम कि सम्पूर्ण विश्व में आतंकवाद का निर्यातक देश कौन है?
पाकिस्तान की स्तिथि एक चरित्रहीन स्त्री की तरह है जो अपने एक प्रेमी को यह कह कर डराती है कि अगर उसने मेरा ठीक से ख्याल न रखा तो वह अपने दूसरे प्रेमी के पास चली जायेगी और इसी तरह वह दूसरे प्रेमी को भी समय समय पर डराती रहती है. पाकिस्तान के ये दो स्पष्ट प्रेमी हैं अमेरिका और चीन.........
आज भारत को एक दूरदर्शी एवं कडे निर्णय को लेने की आवश्यकता है जिसमें समस्त भारतीय नागरिकों की भी सहमति आवश्यक है क्यों कि किसी भी देश की नीतियाँ उस देश के नागरिकों को ही प्रभावित करती हैं, और नागरिकों से ही देश की पहचान एवं प्रगति बनती है........
मधुकर पाण्डेय
6 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
bahut he sundar likha hai....desh prem ki bhaavna kut kut kar bahri hui hai..isi tarah likhte rahe...
सुंदर आलेख आपका चिटठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
इतिहास के घटना क्रम से हमारी उदारता के दृश्य आपने प्रस्तुत किये हैं हमने क्या पाया वह भी सभी को मालूम है फिर भी हम नहीं सुधरेंगे क्योंकि वोटों की राजनीती में अपना नफा नुकसान देखने की प्रवृति ,अल्प्संख्य्नकों के तुष्टिकरण का भाव हमारे राजनीतिज्ञों के हाथों को बांधे हुआ है ,सख्त बातें समयानुकूल हैं सो कही जा रही हैं आगे वही होगा जो होता आया है ,जमीं बनाने का काम अंतुले जी ने शुरू कर दिया है ,सोच की दिशा को नया मोड देने का प्रयास शुरू होने लगा है फिर वही होगा जो होता आया है
प्रकाश बादल
App ne hamesha hi good lekhan kiya hain jo yathatr ka chitran karta hain jo aap ki desh ke prati bhavnao ko vyakt karti hai.hamri har sahyog bhavna aap ke sath hain
happy end of the year 2008 welcome 2009 with ur thought
Rohit Brij
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