सोमवार, 3 अगस्त 2009

क्यों कि मैं मुसलमान हूँ........??

अभी कुछ दिनों पहले ही एक नया (दरअसल पुराना) मुद्दा फिर से उठा या यूँ कह लीजिये कि उठाया गया कि एक फिल्म कलाकार को मुंबई की एक सम्भ्रांत समझी जाने वाली बस्ती के एक अपार्टमेन्ट में एक फ्लैट खरीदने की अनुमति, उस सोसायटी ने नहीं दी| कारण बताया गया कि खरीदने वाला एक मुसलमान है.....बस फिर क्या था देश में तो जैसे भूचाल ही आ गया था....हर टीवी अपनी रामप्यारी (ओबी वैन) लेकर पीड़ित के दरवाजे पर पहुँच गया कि इस "सेक्युलर...धर्म निरपेक्ष" राज्य में ऐसी साम्प्रदायिकता.......बहुत नाइंसाफी है.....एक "ब्रेकिंग न्यूज और एक्सक्ल्यूसिव" खबर का यह पूरा मामला बन सकता था........यह एक्सक्लूसिव तो नहीं बन सका क्योंकि सभी चैनलों के खबरी अपनी अपनी राम प्यारी लेकर वहां पहुँच गए थे.........

बड़े जोर शोर से इस छी छी और गन्दी वाली मानसिकता का पुरजोर विरोध किया गया....आज फिल्म कैमरे के सामने सबके छक्के छुडाने वाला सीरियल किलर......क्षमा करियेगा किसर, एक निरीह की तरह सूखे होंठों को लिए अपनी बेबसी दर्शा रहा था | उसके साथ थे हर मौके पर फिल्म उद्योग के किसी भी विषय खास तौर पर विवादास्पद विषयों पर अपनी बेबाक टिप्पणियां देने वाले बेहद बोल्ड फिल्मो के विशेषज्ञ, वे अपनी बेबाक और बोल्ड प्रतिक्रिया दे रहे थे....... दो दिन तक चैनलों को काफी मटेरियल मिल गया था.....धन्यवाद दें श्री बूटा सिंह के पुत्र सरबजीत का जिनकी खबर ने दर्शकों को ज़ल्द ही इस भयावह सांप्रदायिक भावना वाले प्रकरण से बचा लिया......पर यह खबर बहुत से प्रश्नों को जन्म दे गयी है जिसका जवाब आम जनता को मिलना ज़रूरी है....नहीं तो यह खबर हमारे बच्चों के कोमल मनों पर एक गहरा असर कर जायेगी......इन सवालो का जवाब दरअसल इस तथाकथित पीड़ित अभिनेता एवं उसके साथ खड़े वरिष्ठ सहयोगी एवं प्रसिद्द निर्देशक को भी देने होंगे.......और उनको भी जो ऐसी अनुकूल घटना को पाकर अपने अपने बिलों से बाहर आकर धर्म निरपेक्षता की चाशनी में लिपटा साम्प्रदायिकता का विष वमन करने लगते हैं और अपने को धर्म निरपेक्षता का ठेकेदार बताते हैं

सवाल कुछ यूँ हैं........

०१- जिस तरह से यह वातावरण पैदा किया गया उससे ऐसा लगता है कि मुंबई के सारे मुसलमान किसी अलग टापू पर रहते हैं जहाँ किसी अन्य धर्म के लोगों का दखल नहीं है........... क्या यह सच है....?

०२- क्या यह सच नहीं कि आज वह तथाकथित पीड़ित अभिनेता जहाँ है..वहां तक पहुँचने में सर्वधर्म के दर्शक वर्ग का सहयोग है....

०३- आज जहाँ शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान, इमरान खान, फरदीन खान, अरसद वारसी आदि आदि अनेकों खान, अली, अहमदों को क्या इस देश के सिर्फ अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों ने स्टार और सुपर स्टार बनाया है? क्या इन लोगों को इस मुकाम पर पहुँचने में बहुसंख्यक अर्थात स्पष्ट रूप से "हिन्दू" धर्म के लोगों का स्नेह और प्रशंसा नहीं मिली है.....?

०४- ऐसी ही आवाज़ अभी कुछ वर्षों पहले एक ऐसे जोड़े ने भी उठाई थी, जिन्हें इसी देश के लोगों के देश का अति प्रसिद्द लेखक एवं गीतकार बनाया तथा उनकी पत्नी को देश की संसद में भी चुन कर भेजा... इसके अलावा उन्हें देश के विभिन्न उच्च पदों पर भी सुशोभित किया गया...........

०५- ऐसी ही आवाज़ देश के बहुत ही लोकप्रिय खिलाडी जिन्हें देश की क्रिकेट टीम का कप्तान भी बनाया गया था, ने उठाई थी जब उनके उपर मैच फिक्सिंग के आरोप लगाये गए थे........वे भूल गए थे की जब उन्हें देश की टीम में लिया गया था और उन्हें इस टीम का कप्तान बनाया गया था तब वह शायद मुसलमान नहीं थे ?? आज वही इस देश की लोक सभा के सदस्य हैं.. ...पाकिस्तान की नहीं. ......

०६- क्या ये सुपर स्टार मुंबई में किसी टापू पर रहते हैं ? क्या इन्हें किसी अन्य धर्म के लोगों ने अपने घर या ज़मीन नहीं बेचे...? क्या इनके आशियाने ज़मीन पर नहीं किसी आसमान पर लटके हुए हैं...?

०७- चलिए थोडा पीछे दृष्टि डालते हैं.......अभिनय सम्राट दिलीप कुमार, हास्य सम्राट महमूद, जानी वाकर, सुर सम्राट मोहम्मद रफी, प्रसिद्द निर्माता निर्देशक के आसिफ, महबूब खान, संगीत सम्राट नौशाद, गीतकार शकील बदायुनी, साहिर लुधियानवी आदि आदि ऐसे अनेकों अनगिनत नाम हैं जिन्हें सर्वधर्म के दर्शकों का सहयोग, स्नेह और प्रशंसा मिली | ये सभी मुंबई के संभ्रांत इलाकों में अपने अपने निजी आशियानों में रहते थे और रह रहे हैं.

यह वो देश है जहाँ अधिकांशत: सिर्फ योग्यता, प्रतिभा एवं मानसिकता की परख होती है | यह वो देश है जहाँ एक मुसलमान श्री डा० अब्दुल कलाम साहब, डा० ज़ाकिर हुसैन........देश के सर्वोच्च पद "राष्ट्रपति" पर पदासीन होता है....बहुत कम ही लोग जानते हैं कि इस देश की थल सेना के अत्यंत उच्च पद पर इसी देश के प्रसिद्द फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के भाई पदारुद्ध हैं | लेकिन एक अल्पसंख्यक होने के बाद भी उन्होंने जिस प्रतिभा, योग्यता, मानसिकता एवं कीर्तिमानों का प्रदर्शन किया, उतना ही समर्थन एवं स्नेह इन्हें मिला |यह इस देश की लाखों वर्ष पुरानी अद्भुत लोकतान्त्रिक एवं सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम की लाखों वर्ष पुरानी परम्पराओं का ही प्रतीक एवं प्रतिफल है......यदि ऐसा नहीं होता तो मुग़ल शासक अकबर को दींन-ए-इलाही नामक सामजिक धर्म की आवश्यकता नहीं होती |

आज के इस वैश्विक संबंधों के वातावरण में सडी गली मानसिकता के बदलने की आवश्यकता है.... किसी के ऊपर अनायास दोषारोपण की नहीं......अब तो इस्लामिक देशों का तथाकथित शत्रु अमेरिका भी अपना अश्वेत राष्ट्रपति चुनता है.....और वो भी बराक "हुसैन" ओबामा.....

चलते-चलते.......क्या हमारी दृष्टि उन लोगों पर भी पड़ेगी जो अपने ही देश में विस्थापित हैं........और क्या इस कटु सत्य का उत्तर मिलेगा कि इन्हें विस्थापित बनाने वालों में किस मज़हब के आतंकी लोगों का हाथ है ? इस कडुवे सच को सामने देखते हुए भी हम बिना किसी भेदभाव के उन्ही के मज़हब के लोगों को पूरा स्नेह, समर्थन एवं सम्मान दे रहे हैं.....लेकिन. किसी को विस्थापित नहीं बना रहे हैं जो अपने तथाकथित उत्पीडन, अत्याचार की बेबुनियाद बात को लेकर हाय तौबा मचा रहे हैं....

और एक बात और देश के सभी राज्यों के नागरिक सद्भावनाओं से युक्त वातावरण को गुजरात के २००१ के उदाहरण से खारिज नहीं किया जा सकता.......

3 टिप्‍पणियां:

Saleem Khan ने कहा…

VIVIST ME AT

SWACHCHHSANDESH.BLOGSPOT.COM

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

संकीर्ण सोच, तुच्छ मानसिकता, हीन आत्म विश्वास तथा दूसरों के नाम या यश रूपी कंधों का सहारा लेकर घिसटने वाले लोग जब प्रतिस्पर्धा की रपटीली जमीन पर फिसलने लगते हैं तो ऐसी ओछी हरकतों या जुमलों का सहारा लेकर खबरों में आने की बेहूदा कोशिश करते हैं। पर उन्हें पता नहीं होता कि इससे उन्हें सहानुभूति की आक्सीजन मिलने के बजाय दमघोंटू हिकारत ही मिल पायेगी।
इस प्रकरण के केन्द्र बिंदु को दिशा निर्देश देने वाला खुद अपनी स्तरहीन टिप्पणियों से विवादग्रस्त होकर सुर्खियां बटोरता रहा है।

Unknown ने कहा…

Dear Sir,

aaj bharat nahin world ko aap jaise logo ki need hain .
kisi ki kisi se tulna right approch nahin hain but ekla chalo re ke principal main kuch sant rahe.
Desh ko nai disha di
App margdarshan kartey rahen

Vishnu
Hindustani